दोस्तों ये बात तो सभी को मालूम है कि IAS बनने के लिए बहुत मेहनत करनी पढ़ती है .इसलिए बहुत से लोग ये सोचते है जो बच्चे पढाई में तेज होते है वही लोग IAS बन सकते है . इसलिए जो बच्चे पढाई में ज्यादा तेज नही होते IAS बनने के लिए कोशिश भी नही करते .IAS बनने के लिए UPSC सिविल सेवा की परीक्षा को पास करना पड़ता है . ये परीक्षा बहुत ही कठिन होती है बहुत से छात्र तो कई बार परीक्षा देने के बाद भी इसमें पास नही हो पाते .आज हम आपको एक ऐसे लड़के के बारे में बताने वाले है जिसे कभी 12वीं का प्रवेश पत्र देने से भी मना कर दिया गया था लेकिन आज वही लडका IAS अफसर बन गया गया .जिसने ये साबित कर दिया है कि ये जरूरी नही कि पढाई में तेज छात्र ही IAS बन सकते है .यदि किसी में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई भी अपनी मंजिल को हासिल कर सकता है .
Eating oatmeal provides a serotonin boost to calm the brain and improve your mood.#healthylifestyle #PositiveVibes pic.twitter.com/8v0HBBB065
— DR.NITIN SHAKYA (@DRNITINSHAKYA) February 6, 2022
एक समय था जब उन्हें कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने के लिए प्रवेश पत्र देने से मना कर दिया गया था क्योंकि उन्हें उस परीक्षा को पास करने के लिए अयोग्य माना जाता था, जिससे उनके स्कूल का नाम खराब होता। ऐसा कहा जाता है कि धीमी और स्थिर दौड़ जीत जाती है। इस बात को आईएएस अधिकारी नितिन शाक्य ने साबित किया है। नितिन सेंट्रल स्कूल दिल्ली का एक औसत से नीचे का छात्र था। 12वीं की बोर्ड परीक्षा के समय, उन्हें परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रवेश पत्र देने से मना कर दिया गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि मैं एवरेज स्टूडेंट था। स्कूल को डर था कि मेरी असलफलता के कारण स्कूल का नाम खराब होगा। लेकिन मेरी मां ने प्रधानाध्यापक से मुलाकात की और उनसे मुझे खुद को साबित करने का एक मौका देने का अनुरोध किया। उसके बाद मुझे एडमिट कार्ड मिला।”
గణతంత్ర దినోత్సవ శుభాకాంక్షలు pic.twitter.com/DYyznHJBxz
— DR.NITIN SHAKYA (@DRNITINSHAKYA) January 26, 2022
नितिन को उसके बाद 12वीं में शानदार अंक मिले जिसने उसके शिक्षकों को भी अपने छात्रों को कम आंकने की गलती पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया। 12वीं कक्षा के बाद नितिन की जिंदगी में बदलाव आया। उसके बाद उन्होंने मेडिकल प्रवेश परीक्षा का प्रयास किया और पास हो गए। उन्होंने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई शुरू की। नितिन ने मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की और क्रिटिकल केयर मेडिसिन और इमरजेंसी मैनेजमेंट के विशेषज्ञ बन गए। फिर भारत की सबसे कठिन परीक्षा UPSC सिविल सेवा को पास करने के बाद वह व्यक्ति IAS अधिकारी है।
उन्होंने MAMC में एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर विभाग के तहत काम किया और साथ ही लोक नायक अस्पताल, गुरु नानक नेत्र केंद्र, सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर से भी जुड़े। नितिन अपनी प्रारंभिक शिक्षा के कारण अंग्रेजी में भी पिछड़ गया। अपने कॉलेज में भी इस वजह से उनका छात्रों से कम संवाद होता था। हालांकि, उन्होंने उम्मीद नहीं खोई और इसके बाद भी प्रतिस्पर्धा करने के लिए खुद को काफी काबिल बनाया। अपने स्नातक स्तर की पढ़ाई के दौरान ही नितिन ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों के लिए काम करना शुरू कर दिया था। वह केवल उनका इलाज कर सकता थे। लेकिन एक आईएएस के स्तर पर उनकी मदद नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने आईएएस बनने का फैसला किया और सिविल सेवा परीक्षा के लिए अध्ययन करना शुरू कर दिया।
Life is 10% what happens to you and 90% how you react to it. pic.twitter.com/5azWCka1Sh
— DR.NITIN SHAKYA (@DRNITINSHAKYA) January 30, 2022
अपने पहले प्रयास में नितिन ने सीएसई प्रीलिम्स, मेन्स क्वालिफाई किया, लेकिन इंटरव्यू में 10 अंकों से पिछड़ गए। फिर उन्होंने फिर से प्रयास किया और मेन्स में असफल हो गए जबकि अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी प्रीलिम्स भी पास नहीं किया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक बार फिर प्रयास किया और आखिरकार वो सफल हो गए। वर्तमान में, वह राष्ट्रीय राजधानी में एसडीएम के पद पर तैनात हैं। नितिन शाक्य जैसे अधिकारी उन सभी औसत से कम छात्रों के लिए एक वास्तविक प्रेरणा हैं जो सफल होने की उम्मीद खो देते हैं। हम सिर्फ इतना कहना चाहते हैं, आप सब कर सकते हैं।