दोस्तों भारत देश की संस्कृति दुनियाभर में प्रसिद्द है .हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता से प्रभावित होकर और देश के लोग भी हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता को अपनाने लगे है . भारत की संस्कृति और सभ्यता को सिखने के लिए ख़ास तौर पर विदेशी भारत आते है और कुछ तो भारत के ही होकर रह जाते है . आज हम आपको ऐसे ही एक मामले के बारे में बताने वाले है जिसमे भारत भ्रमण करने आई एक विदेशी महिला को भारतीय संस्कृति और यंहा का रहन-सहन बहुत ज्यादा पसंद आया और यंहा आकर उसे वो शांति और सकुन मिला जिसे वो दुनिया भर में खोज रही थी कि उसने अपना पूरा जीवन इस देश में बिताने का निर्णय ले लिया . उस विदेशी महिला की पूरी कहानी जानने के लिए लेख को अंत तक जरुर पढ़े .
जूलिया भारत आने से पहले ऑस्ट्रेलिया में योग और मेडिटेशन से काफी प्रभावित लोगों को योग और मेडिटेशन सिखाया करती थी ऑस्ट्रेलिया में जूलिया का खुद का एक आश्रम में जिसका नाम शांति द्वार है.जब जूलिया भारत आई उन्हें यहां की संस्कृति बहुत पसंद आई योग विद्या को पूरी तरह गहराई से जानने के लिए जूलिया ने योग सीखने का निर्णय लिया. योग का प्रदेश उत्तराखंड आने का मन बनाया भारत आकर जूलिया बद्रीनाथ पहुंची और यहां उनकी मुलाकात एक बाबा से हुई तब से वह चमोली के महेश्वर आश्रम में रहने लगी और वहीं से बाबा से योग सीखना शुरू कर दिया. जिस कारण से उन्होंने यहां शादी करने का मन बना लिया.
आपको बतादे जूलिया की पहले शादी हो चुकी थी पहली शादी से दो बच्चे हैं बड़ा बेटा ऑस्ट्रेलिया में अपनी पढ़ाई कर रहा है. दूसरा बेटा उसकी उम्र केवल 4 वर्ष है जो जूलिया के साथ भारत आया.आश्रम में रहते रहते जूलिया का छोटा बेटा महाराज बर्फानी दास को पिता कहकर पुकारने लगा.तभी जूलिया ने बाबा के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया जुलिया की शादी पूरे हिंदू रीति रिवाज से हुई.
शादी होने के पश्चात अपने दोनों बेटों का नाम भी बदल दिया.शादी हो जाने के बाद हिंदू रीति रिवाज से जुलिया ने अपना नाम ऋषिवन रखा और अपने दोनों बेटों का नाम बदलकर विद्वान और विशाल रख दिया.जूलिया का कहना है कि भारतीय रिती रिवाज मुझे बहुत ज्यादा पसंद है.जुलिया को यहाँ की संस्कृति बहुत पसंद आई है.जुलिया ने कहा आने वाले वक्त में और लोगों को भारतीय संस्कृति और योग विद्या के महत्व पर चाहती हूं.