दोस्तो हर किसी के ऊपर कभी न कभी ऐसा समय जरूर आता है जब उसे किसी से उधार लेना पड़ता है और जिसे चुकाने के लिए कुछ समय की मोहलत भी ले लेते है लेकिन कभी कभी दुर्भाग्य वंश उस समय पर उधार चुका नहीं पाते तो ऐसे में उधार देने वाले अपना पैसा वापिस लेने के लिए बार बार फोन करते है और अपना पैसा वापिस मांगते है ।आज के समय में ज्यादातर लोग उधार ले कर भूल जाते हैं और उधार देने वाले बेचारे बाद में पछताते है आजकल धोखाधड़ी के ऐसे बहुत से मामले सामने आए है लेकिन इसी बीच एक ऐसा मामला भी सामने आया जिस पर कोई यकीन नही कर पा रहा है आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले है जिसकी ईमानदारी के सब कायल हो रहे है
सूरत कपड़ा मंडी में आये दिन लाखों-करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं, वहीं दक्षिण भारत में आंध्रप्रदेश स्थित विजयवाड़ा कपड़ा मंडी के एक 75 वर्षीय व्यापारी एक दो साल का नहीं बल्कि 25 साल पहले की उधारी चुकाने अपने पुत्र के साथ आये। सूरत आकर बाप बेटे की जोड़ी ने एक-दो व्यापारियों की नहीं बल्कि आधा दर्जन कपड़ा व्यापारियों की उधारी चुकाई। यह उधारी कुल 12 लाख के आसपास की थी। ये काम उन्होंने तब किया जब उधार देने वाले व्यापारी इस उधारी रकम को भूल भी चुके थे।सूरत कपड़ा मार्केट में सामने आई ईमानदारी की इस घटना की हर किसी ने जमकर प्रशंसा की है। इस घटना में जानकारी के अनुसार विजयवाड़ा कपड़ा मंडी के ये कपड़ा व्यापारी चंद्रशेखर राव ने 1997 में सूरत के कुछ व्यापारियों से उधार पर कपड़ा खरीदा था।
इसके बाद नुकसान होने पर 1998 में दुकान बंद कर चले गए। कुछ दिनों बाद लोग अपनी उधारी भूल गए। अब 25 साल बाद वो ही व्यापारी 75 वर्ष का होकर अपने बेटे शेखरराव के साथ बुधवार को सूरत कपड़ा मंडी पहुंचा और जिन-जिन व्यापारियों की रकम बकाया थी, वो हाथ जोड़कर लौटाकर गया है। हैरानी की बात ये है कि किसी भी व्यापारी को अपनी बकाया राशि याधी नहीं थी इसलिए व्यापारी ने जो बताया उसी को सबने सही मानकर रख लिया।इस मामले में बड़ी बात ये रही कि विजयवाड़ा के कपड़ा व्यापारी चंद्रशेखर राव ने जिन जिन व्यापारियों की उधारी चुकाई उनमें से एक बकायेदार व्यापारी की तो मृत्यु भी हो गई बताई है। राव ने अभिनंदन मार्केट के कपड़ा व्यापारी ओथमल जैन को बताया कि घाटा होने के कुछ समय बाद उन्होंने वापस व्यापार किया और बनारस, बैंगलुरू कपड़ा मंडी के प्योर सिल्क से कारोबार को वापस जमाया है। तीन-चार साल से वे बकाया राशि चुकाने सूरत आने वाले थे, लेकिन पहले अन्य कारण व बाद में कोविड-19 की वजह से नहीं आ पाए थे।